मासूम दोस्ती
लक्षिता से बात करके विक्की और डेनी सूर्या की ओर मुड़कर उससे बात करते हैं ।
सूर्या! सुन ना यार- विक्की ने कहा ।
मगर सूर्या ने सुनकर भी अनसुना कर दिया ।
इसे क्या हुआ- डेनी ने नासमझी से पूछा ।
जबाब में विक्की ने कन्धे उचका दिये।
डेनी ने सूर्या को झकझोरा, कहां खो गया भाई??
कहीं नहीं, यहीं हूँ । दिखाई नहीं दे रहा है- सूर्या ने गुस्से से कहा।
गुस्सा क्यों हो रहा है यार? पूछ ही तो रहा हूँ- डेनी ने नम आवाज में कहा।
यूँ तो डेनि बहुत मजबूत था लेकिन किसी के गुस्से से बात करने पर वो बहुत जल्दी इमोसनल हो जाता था खासकर सूर्या और विक्की के । उसे इन दोनों का गुस्सा और बेरुख़ी बिल्कुल सहन नहीं होती थी ।
सूर्या को अपनी गलती का अहसास हुआ कि उसने बेवजह ही डेनी पर गुस्सा किया।
सॉरी यार! थोडा मूड ठीक नहीं था- सूर्या ने पछतावा करते हुए कहा ।
एक तो साला बेवजह गुस्सा किया और अब सॉरी और बोल रहा है-डेनी ने मुँह बना लिया ।
ओह्ह माय डार्लिंग! ये मुँह बनाना तुम्हें शूट नहीं करता- विक्की ने हँसते हुए कहा ।
तुझे तो मेरा मजाक बनाने को बस मौके की तलाश रहती है । चलो ये सब छोडो । अभी ब्रेक में लक्षिता के साथ कैंपस घूमने चलना पड़ेगा। सूर्या तू भी चलेगा ना-डेनी ने पूछा ।
नहीं , तुम लोग चले जाना । मुझे लाइब्रेरी जाना है- सूर्या ने झट से कहा।
अभी से तैयारी शुरू कर दी पाठक साहब- विक्की बीच में बोल पडा।
ऐसा कुछ नहीं है यार । तुझे तो पता है ना मुझे लडकियों से कितनी नफरत है- सूर्या ने कहीं खोते हुए कहा ।
सभी लड़कियाँ एक जैसी नहीं होती सूर्या! उस घटना को एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ। कब तक उस चीज को याद कर के अपने दिल में बेवजह हर किसी के लिए नफरत भरते रहोगे- डेनी ने उसे समझाने की कोशिश की ।
सूर्या ने कहीं खोये हुए ही सिर हिला दिया- हूँ। काश! वो सब भूल पाना इतना आसान होता।
चल तू लाइब्रेरी जा । हम तुझे फोर्स नहीं करेंगे चलने के लिए । लेकिन तू वादा कर कि किताब में ध्यान लगायेगा नाकि इन सब फाल्तू बातों में । ओके ?- विक्की ने गम्भीरता से कहा।
ठीक है । तुम लोग जाओ- सूर्या ने उदास आवाज में कहा।
दोनों ने आकर उसे हग कर लिया।
लाइब्रेरी जा रहा हूँ, विदेश नहीं जा रहा हूँ- सूर्या ने हँसते हुए कहा ।
इस बात से उन दोनों की भी हँसी निकल गई ।
तब तक लक्षिता और प्रेक्षा भी आ गए।
क्या हँसी-मजाक चल रहा है । हमें भी तो बताओ- लक्षिता ने मुस्कुराकर कहा ।
उनको देखकर सूर्या जल्दी से वहां से निकल गया ।
इसे क्या हुआ??- लक्षिता ने पूछा ।
वो लाइब्रेरी गया है। उसे वहाँ कुछ काम है। तुम चलो,पहले कैंपस चलते हैं- डेनी ने कहा ।
जैसा तुम्हें ठीक लगे, चलो- लक्षिता बोली।
प्रेक्षा ,लक्षिता, विक्की और डेनी चारों लोग कैंपस में घूम रहे थे । विक्की लक्षिता सब जगहों के बारे में बताता जा रहा था।
वो देखो लक्षिता! वो लाइब्रेरी है । अपने कॉलेज की लाइब्रेरी बहुत बड़ी है । यहाँ सब तरह की बूक्स अवेलेबल हैं। आप यहाँ से बूक्स बोरो भी कर सकते हो - विक्की ने उसे बताया।
तुम लोग मुझे लक्षू भी बुला सकते हो। मेरे सारे दोस्त मुझे यही बुलाते हैं- लक्षिता ने कहा।
लेकिन हम दोस्त नहीं हैं। हम तुम्हें कॉलेज सिर्फ इसलिये दिखा रहे हैं क्योंकि मैम ने कहा है-डेनी ने सहजता से कहा।
मैं तुम लोगों से दोस्ती करना चाहती हूँ । मुझसे दोस्ती करोगे??- लक्षिता ने चहककर कहा ।
जी नहीं! उसकी कोई जरूरत नहीं है- विक्की ने साफ-साफ कहा।
लक्षिता ने मुँह बना लिया। उसे देखकर कोई भी बता सकता था कि उसे विक्की की बात का बुरा लगा है ।
डेनी ने उसका उतरा हुआ चेहरा देखा तो उसने टोपिक चेंज करते हुए कहा- वैसे लक्षिता तुम्हें 10th में कितने % मिले थे??
98•8% -लक्षिता ने संक्षिप्त सा जवाब दिया ।
अरे वाह! काफी इंटेलीजेंट हो तुम- डेनी ने मुस्कराकर कहा।
किस काम की इंटेलिजेंस, जब तुम्हारे जैसे लोग मुझे दोस्ती के काबिल भी नहीं समझते - लक्षिता ने उदास स्वर में कहा।
कितनी इनोसेंट है ये। इतनी सी बात को लेकर बैठी है अभी तक । कहाँ अभी इतनी खुश थी। अब मुँह लटकाये हुये है- डेनी ने मन ही मन कहा ।
अरे! लक्षिता वो सब छोडो । कैन्टीन आ गई है और मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है । तुम्हें घुमाने के चक्कर में मेरा लंच मिस हो गया- विक्की ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहा ।
उसकी इस हरकत से सबकी हँसी निकल गई ।
लक्षिता को मुस्कुराते हुए देखकर विक्की और डेनी को चैन मिला ।
चारों लोग कैन्टीन में कुछ खा ही रहे थे कि ब्रेक खत्म होने की बैल लग गई ।
लक्षिता और प्रेक्षा उठकर जाने लगे तो विक्की ने रोकते हुए कहा कि पहले अपना खाना फिनिश कर लो क्लास में इतनी जल्दी कोई टीचर नहीं आने वाला।
और कल कॉलेज जल्दी आ जाना। बाकी जगह भी घूम लेंगे।
ओके! मैं आ जाऊंगी और प्रेक्षा! तुम्हें भी आना पड़ेगा कल जल्दी- लक्षिता ने कहा।
मैं? ••वो•••• प्रेक्षा अटकते हुए बोली
कोई बहाना नहीं चलेगा । आना है तो आना है बस - लक्षिता की आवाज में इस बार सख्ती थी।
प्रेक्षा ने हाँ में सिर हिला दिया। उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि जो लड़की उसे महज कुछ घंटे पहले ही मिली थी,इतनी जल्दी उससे इतना घुल-मिल गई थी ।
विक्की और डेनि अपना खाना फिनिश करके लाइब्रेरी की ओर निकल गए और लक्षिता- प्रेक्षा क्लास की ओर।
ऐ सूर्या तो यहाँ है ही नहीं- विक्की लाइब्रेरी में झान्कते हुए बोला।
फिर कहाँ गया होगा??- डेनी ने सोचते हुए कहा ।
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shweta soni
23-Jul-2022 05:03 PM
Nice 👍
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नंदिता राय
14-Jun-2022 06:30 PM
बेहतरीन भाग
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Gunjan Kamal
14-Jun-2022 10:36 AM
बेहतरीन भाग
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